जानिए उन संकेतों के बारे में जो बताते हैं कि आप बाहर से खुश हैं मगर अंदर से डिप्रेशन में हैं

जानिए उन संकेतों के बारे में जो बताते हैं कि आप बाहर से खुश हैं मगर अंदर से डिप्रेशन में हैं

सेहतराग टीम

आज के समय में काम का प्रेशर और पैसे कमाने की होड़ की वजह से लोग अक्सर परेशान रहते हैं। इसकी वजह से लोग हमेशा सोचते रहते हैं, जिसकी वजह लोग डिप्रेशन में चले जाते है या डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, लेकिन कई लोग बाहर से दिखाते है कि वो काफी खुश है लेकिन अंदर से वो हमेशा अपने डिप्रेशन से लड़ते रहते हैं। ऐसे लोगों को कैसे पहचाने ये सभी लोगों के लिए काफी चुनौती भरा रहता है। तो आज हम इसलिए आपको ऐसे संकेत के बारे में बताउंगा जिसे देख आप तुरंत समझ जाएगें कि आप या आपके सगे संबंधी डिप्रेशन के शिकार है या नहीं

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अपने भाव नहीं दिखाते    

वे लोग जो अंदर से चिंता या फिर अवसाद का शिकार होते हैं वे किसी के भी साथ अपने मन की स्थिति को साझा नहीं करते हैं और सबसे अपनी भावनाओं को छिपाने का प्रयास करते हैं। वे ऐसा दो तरीके से करते हैंः  

  • वे अपनी सामाजिक स्थिति यानी की लोगों से मिलना-जुलना, लगातार उनके संपर्क में रहना और उनसे बात करते रहना नहीं बंद करते हैं। और अपनी चिंताओं व अवसाद की स्थिति को छिपा लेते हैं। उनका चेहरा भले ही आपको बाहर से सकरात्मक लगे लेकिन अंदर से वे बिल्कुल डिप्रेशड होते हैं।       
  •  ये लोग घर पर रहने के लिए ऐसे बहाने बनाते हैं, जिनपर आपको बहुत जल्दी विश्वास हो जाता है। इतना ही नहीं इन बहानों से ये लोग सामाजिक दूरी बना लेते हैं, जिसके कारण इनके डिप्रेशन में होने का अंदाजा नहीं चल पाता। 

घर की बिगड़ी हुई हालत  

अगर किसी व्यक्ति का मन सफाई के काम में नहीं लगता है और उसके कपड़े, जूते आदि जैसे सामान यहां-वहां बिखरे पड़े रहते हैं तो ये संकेत है कि वे व्यक्ति कहीं न कहीं डिप्रेशन का शिकार है। इसके साथ ही जो व्यक्ति साफ-सफाई के नियमों का पालन न करता हो और अपने घर की सफाई न करता हो वे व्यक्ति भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।        

साइकोमेटिक बीमारी             

अगर कोई व्यक्ति अपने सीने में शिकायत,हाथों में तनाव, और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां अनुभन कर रहा है तो वह कहीं न कहीं तनाव या डिप्रेशन का शिकार है। हालांकि इन स्थितियों में स्वास्थ्य की जांच कराने पर ये पता चलता है कि उसे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है और उसका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। इस स्थिति में कहीं न कहीं उसे डिप्रेशन का शिकार पाया जाता है। 

उत्पादकता में बदलाव भी संकेत 

डिप्रेशन जैसी स्थिति से परेशान व्यक्ति कभी भी यानी की रोजाना अपने काम को पूरा करने में समर्थ नहीं हो पाता है। इस स्थिति से गुजर रहा व्यक्ति हमेशा थका-थका रहता है और हर जरूरी जानकारी भूल जाता है, जो कहीं न कहीं उसके रूटीन टास्क को प्रभावित करती है और उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। ये स्थिति कहीं न कहीं लोगों में डिप्रेशन के संकेत को उजागर करती है। हालांकि कुछ मामलों में ये देखा गया है कि कुछ असक्रिया लोग काम करने के  आदि हो जाते हैं और उन्हें पूरा दिन काम करने की लत लग जाती है।  

कुछ चीजों की सनक लग जाना    

डिप्रेशन का शिकार लोग अक्सर लोग एक ही बात करते रहते हैं और किसी एक ही विषय पर बात करना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं वे बोलने के सिवाए कुछ और नहीं करते हैं।  इस स्थिति से परेशान अपनी किसी बात को लेकर उसे मनवाने कि जिद्द पकड़ लेते हैं, जो कहीं न कहीं उनके डिप्रेशन का संकेत माना जाता है।    

बेवजह की बातों पर रिएक्ट करना   

इस स्थिति से गुजर रहे लोग भावुक पीड़ा का अहसास नहीं करते हैं।  इसके अलावा न उन्हें बेइज्जती महसूस होती है। वे सबकी बातों पर विश्वास कर लेते हैं और अपनी भावनाओं को भूल जाते हैं। ये सभी चीजें व्यक्ति के डिप्रेशन का शिकार होने के संकेत दर्शाती है।

 

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